मकर के शनि व सूर्यग्रहण के चलते चीन से हुआ था भारत का युद्ध

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- 1962 जैसी स्थिति एक बार फिर 21 जून को बनी, बार्डर पर बना हुआ है तनाव
इंदौर ब्यूरो।
21 जून 2020 रविवार को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। पृथ्वी पर सूर्य की ओर देखने पर चंद्रमा सूर्य के मध्य में होने से कंकण के समान दिखेगा इसलिए इसे कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भी कहते है। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विद मितेश मालवीय ने बताया कि सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसका मनुष्य पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव रहता है। संवत 2077 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या रविवार 21 जून को मृगशिरा नक्षत्र,मिथुन राशि मे ग्रहण लगेगा। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल है।
ग्रहण के चलते हुआ था युद्ध
31 जुलाई 1962 में भी जून 2020 जैसा ग्रहण हुआ था और भारत चीन का विवाद युद्ध हुआ था। तब भी शनि महाराज मकर में थे। बृहत्संहिता के मिथुन राशि मे सूर्यग्रहण होने से राजा-मंत्री और युमना तट निवासी को अधिक पीड़ा रहती है। इसके अलावा उत्तरखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात का समुद्री भाग व महाराष्ट्र इत्यादि क्षेत्रो के निवासियों को पीड़ा, रोग, भय, बाढ़, भूकम्प, विरोध का बढऩा, रोजगार, अर्थव्यवस्था में परेशानी रहेगी।
ग्रह की स्थिति सूर्य ग्रहण के समय गोचर में
मिथुन राशि – सूर्य, चंद्र, बुध, राहु
मीन – मंगल
मकर – गुरु, शनि
वृषभ – शुक्र
धनु – केतु
भारत में विभिन्न शहरों में ग्रहण का समय
नई दिल्ली – सुबह 10.20 से 13.45
मुम्बई – 10 से 13.27
प्रयागराज – 10.26 से 13.59
कोलकत्ता – 10.46 से 14.17
चेन्नई – 10.22 से 13.41
हैदराबाद – 10.15 से 13.45
बंगलुरू – 10.12 से 13.22
12 घंटे पहले लगेगा सूतक काल
ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले अर्थात 20 जून रात्रि को 10 बजे से लगेगा।
सूतक व ग्रहण काल मे गर्भवती महिलाएं बाहर नहीं निकले, हानिकारक तरंगें माँ और बच्चे की सेहत को हानि दे सकती है। मंदिर के पट बन्द रखे, बीमार-वृद्ध और बच्चे के अलावा सभी भोजन ग्रहण के बाद स्नान करके खाये। भोजन और खाद्य सामग्री में तुलसी का पत्ता रखे।

खुली आंखों से न देखें ग्रहण
पितरो की अमावस्या होने से भी दान पुण्य का बड़ा महत्व है। ग्रहण को नंगी आखों से देखना उचित नही है आखों की रोशनी को नुकसान हो सकता है। इसे एक विशेष चश्मे या विशेष कांच से या उपयुक्त दूरबीन से देखना चाहिए। राहु और केतु भगवान से सम्बंधित उपाय मंगलकारी होते है, क्योंकि ग्रहण के समय ये शांत होते है। ग्रहण के बाद शान्तिपाठ अवश्य करे।
मृगशिरा नक्षत्र 6 माह रखें सावधानी
जिन जातकों का जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है, उनको करीब छ: माह तक सावधानी रखनी चाहिए। उन्हें दुर्घटनाओं, स्वास्थ सम्बंधित, व्यापार, दाम्पत्य जीवन और शिक्षा में क्षति हो सकती है।
राशियों पर प्रभाव
शुभ – मेष, सिंह, कन्या, मकर
सामान्य – वृषभ, तुला, धनु, कुंभ
अशुभ – मिथुन, कर्क, वृश्चिक, मीन
12 राशियां के अनुसार दान
मेष- लाल कपड़े, गेहूं और तिल का दान करना शुभ रहेगा। तो शीघ्र ही हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
वृषभ – सूती कपड़ों का दान करें। जल, दूध और सफेद तिल का दान करना चाहिए।
मिथुन- गाय को हरी घास खिलाएं। श्रद्धा अनुसार गणेश मंदिर में दान करें।
कर्क- गंगाजल, दूध से बनी मिठाइयां और सफेद कपड़े दान करें।
सिंह – लाल कपड़े, कंबल या चादर का दान करें।
कन्या- हरे मूंग, धान, कांसे के बर्तन या हरे कपड़ों का दान करें।
तुला- किसी मंदिर में फ ल, रुई या घी का दान करें।
वृश्चिक- भूमि, लाल वस्त्र, सोना, तांबा, केसर, कस्तूरी का दान करना चाहिए।
धनु – मंदिर में हल्दी, चने की दाल का दान करें।
मकर- कंबल और काले तिल का दान करें।
कुंभ – तेल, तिल, नीले-काले कपड़े, ऊनी कपड़े और लोहे का दान करें।
मीन- पीली चीजें, धर्मग्रंथ, शहद, भूमि, दूध देने वाली गाय, पीलाचंदन, पीले कपड़े दान कर सकते हैं।