कोरोना वैक्सीन वार: रूसी वैक्सीन पर अमेरिका-इंग्लैंड को संदेह
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special correspodent . कोरोना वायरस पर विश्व में सबसे पहले वैक्सीन बनाकर रूस ने धमाका कर दिया है। इस वैक्सीन का नाम स्पूतनिक वी रखा गया है जो सोवियत संघ के अंतरिक्ष मिशन की याद दिलाता है।
वैक्सीन के इस नाम के कारण अब एक बार फिर अमेरिका और रूस में बड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है, क्योंकि अंतरिक्ष में भी इन दोनों देशों के बीच जमकर प्रतियोगिता हुई थी।
उधर रूस ने अपनी वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल से लेकर मानव ट्रायल तक पूरे करने की बात कही है। रूस ने कहा कि सभी ट्रायल सभी कसौटी पर खरे उतरे हैं, उसके बाद ही वैक्सीन को सबके सामने लाया गया है।
लेकिन अब रूस की वैक्सीन पर अमेरिका और इंग्लैंड शक की नजरों से देख रहे हैं। अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार रहे एंथोनी फाउची ने कहा कि वैक्सीन काम करेगी या नहीं यह अलग बात है, लेकिन वैक्सीन को बनाना और सुरक्षित व प्रभावशाली साबित करना अलग है।
उन्हें ऐसा सबूत नहीं मिला, जिससे इस वैक्सीन पर भरोसा किया जा सकें। उन्होंने कहा कि रूस के लोगों ने कहा होगा कि वैक्सीन बेहतर है और काम कर रही है। लेकिन अमेरिकियों को पता है कि वैक्सीन की मंजूरी के लिए यह जरूरी है कि उसका सुरक्षित व प्रभावी साबित होना। फाउची ने कहा कि कोविड 19 की सुरक्षित वैक्सीन इस साल के अंत तक आ जाएगी।
एक सुरक्षित वैक्सीन की गांरटी नहीं दी जा सकती। ऐसा दावा कोई भी नहीं कर सकता। फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन रूसी वैक्सीन की निगरानी कर रहा है। उधर, यूनाइटेड किंगडम ने रूसी वैक्सीन पर बयान जारी करते हुए कहा है कि हम हमारे नागरिकों पर रूसी वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। जब तक कि यह साबित न हो जाए कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है।