शनि जयंती पर 972 वर्षों बाद ग्रहों का विचित्र संयोग

शनि जयंती पर 972 वर्षों बाद   ग्रहों का विचित्र संयोग

गुरु व शनि एक ही राशि में, चतुग्र्रही युति भी होगी, शनि के साथ यमराज की पूजा

इंदौर। शनि जयंती पर 972 वर्षों बाद ग्रहों का विचित्र संयोग आ रहा है। शुक्रवार को शनि जयंती के अवसर पर देवराज व न्याय के देवता शनि एक ही राशि में चतुग्रही युति भी बनाएंगे। इस अवसर पर शनि के साथ यमराज की पूजा भी होगी।

आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि शनि जयंती (जन्मोत्सव) का पर्व ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष न्याय के देवता शनि की जयंती शुक्रवार को वर्षों बाद विशेष ज्योतिषीय संयोग में मनेगी। इस वर्ष वृषभ राशि मे चतुग्र्रही, चन्द्रमा, सूर्य, बुध व शुक्र की युति के साथ ही मकर राशि मे शनि (न्याय के देवता) व गुरू(देवराज) दोनों एक साथ रहेंगे। इस प्रकार का युति संयोग शनि जयंती पर 972 वर्ष बाद बन रहा है। पूर्व में यह संयोग सन् 1048 में मई माह में ही बना था।आगे लंबे समय तक इस प्रकार का योग नही बनेगा । शुक्रवार को अमावस्या तिथि रात्रि 11 बजकर 08 मिनिट तक रहेगी। कृत्तिका नक्षत्र, शोभन योग, चतुष्पाद, नाग करण में न्याय के देवता का जन्मोत्सव विशेष ज्योतिषीय संयोग में मनेगा। राजा को रंक व रंक को राजा बनाने वाले शनिदेव की जयंती पर शनि की साढ़ेसाती व ढय्या से पीडि़त जातकों के लिए यह ज्योतिषीय संयोग में शनि जयंती पर शनि की विशेष कृपा बरसेगी। शनि गुरु का साथ सितंबर बाद वैश्विक महामारी कोरोना से राहत दिलाने में सहायक होगा।

योग का देश दुनिया पर प्रभाव
शनि जयंती पर निर्मित हो रहे विशेष ज्योतिषीय संयोग का राष्ट्र व्यापी व वैष्विक प्रभाव यह होगा कि शनि व गुरु दोनों की युति सितम्बर के बाद इस महामारी से धीरे धीरे निजात दिलाने में सहायक होगी। धर्म व अध्यात्म के प्रति लोगों की आस्था बढ़ेगी। स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता में वृद्धि होगी। ये ग्रहों की युति जीवन जीने की कला में भी सहायक होगी। सरकार कठोर निर्णय लेगी। जनता में आक्रोश बढ़ेगा। महंगाई व मिलावट खोरी से जनता में रोष, प्राकृतिक आपदाओं से जन जीवन अस्त व्यस्त होगा। नए कर भी जनता की परेशानी बढ़ा सकते है।

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