प्रदेश की प्रगति को गहरा आघात – कमलनाथ

प्रदेश की प्रगति को गहरा आघात – कमलनाथ

मध्यप्रदेश का 2020-21 का बजट अध्यादेश महामारी की असामान्य परिस्थितियों में

मध्यप्रदेश का 2020-21 का बजट अध्यादेश महामारी की असामान्य परिस्थितियों में लाया गया है । इस बेहद असामान्य परिस्थिति का सबसे प्रतिकूल प्रभाव प्रदेश की खेती किसानी पर पड़ा है । मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने बजट में सबसे बड़ा कुठाराघात कृषि क्षेत्र में ही किया है ।
मध्यप्रदेश मूलतः कृषि प्रधान प्रदेश है। यहाँ की 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है । किसानों की क्रय शक्ति बढ़ने पर ही मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था सुचारू होती है ।
मगर प्रदेश भाजपा सरकार ने 2019-20 की तुलना में 2020-21 में एग्रीकल्चर में 53.64 प्रतिशत बजट में कमी की है और हॉर्टिकल्चर में 46.72 प्रतिशत की कमी की है । बजट प्रावधानों में कृषि क्षेत्र में इतनी बड़ी कटौती का सीधा सा अर्थ है कि समूचे प्रदेश की प्रगति के पहिये को थाम देना ।
भाजपा सरकार ने प्रदेश में आते ही जय किसान फसल ऋण माफ़ी योजना को रोक कर यह संकेत दिए थे कि सरकार किसानों के हित में काम करने वाली नहीं है, मगर इस तरह वो बजट में प्रदेश को नुकसान पहुँचाएगी,अनुमान न था । प्रदेश में हमारी कांग्रेस सरकार ने न सिर्फ़ औद्योगिक निवेश का एक अच्छा वातावरण बनाया था, अपितु निवेश भी आकर्षित किया था । मगर इस बार एमएसएमई के बजट में 34.72 प्रतिशत की कटौती की गई है , जिससे प्रदेश के विकास पर दोहरी मार पड़ेगी ।
मध्यप्रदेश के इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर भी इस बजट से बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि शहरी विकास विभाग में 56.90 प्रतिशत की कमी की गई है और पीडब्ल्यूडी के सड़क निर्माण में 24 प्रतिशत की कमी की गई है । इस महामारी की दशा में कम से कम ये उम्मीद तो सरकार से थी कि वो प्रदेश के नागरिकों के स्वास्थ्य का ख़याल रखेगी, मगर स्वास्थ्य और चिकित्सा- शिक्षा में भी कटौती करके सरकार ने अपने उत्तरदायित्वों से पीछा छुड़ाने की अमानवीय कोशिश की है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है ।
बजट का अवलोकन करने पर साफ़ प्रतीत होता है कि इस बजट में महिलाओं , आदिवासी भाइयों , पिछड़ों ,दलितों , युवकों और किसानों, अर्थात् समाज के किसी भी वर्ग के साथ न्याय नहीं किया गया है ।

Share this story