पूर्ण कालसर्प दोष से चीन में मरे थे 6 करोड़ और भारत से हुआ था युद्ध
- अगले 15 दिनों तक पूर्ण कालसर्प दोष का ब्रह्माण में निर्माण
23 जून तक डालेगा मनुष्य पर असर, कई राशियों पर डालेंगे असर
इंदौर। ब्रह्माण में अगले 15 दिनों के लिए पूर्ण कालसर्प दोष का निर्माण हो रहा है। जो 23 जून तक रहेगा। कालसर्प योग कई राशियों पर असर डालेगा। पिछली बार वर्ष 1961 में भी गोचर में कालसर्प दोष बना था और करीब 6 करोड़ लोग चीन में भुखमरी से मरे थे और फि र भारत से युद्ध भी हुआ था।
59 साल बाद वापस बनने वाले पूर्ण काल सर्प योग के चलते इस पृथ्वी पर बडी आपता आने वाली है। महामारी के साथ ही युद्ध के योग भी बन रहे है। बड़ी संख्या में लोगों की मौत होगी। ज्योतिषाचार्य मितेश मालवीय ने बताया कि सफ लता और असफ लता को ज्योतिषीय गणना के अनुसार आकलन करे तो ग्रहों की गोचर में स्थिति की बड़ी अहम भूमिका है, जो कि मनुष्य की जन्मपत्रिक या जन्मकुंडली में कालसर्प दोष का पाया जाना। कालसर्प दोष एक ऐसा दोष है जो प्राय: 100 में से 40 जन्मपत्रिक में उपलब्ध रहता है। कालसर्प दोष होने की वजह से मनुष्य को मनोवांछित सफ लता का ना मिलना, कार्य अधूरा रहना या कार्य का पूर्ण ना होना। समय पर कार्य सिद्ध नही होना, धन की सुगमता से प्राप्ति ना होना,दाम्पत्य जीवन मे परेशानी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसे बनता है काल सर्प योग
जब किसी जातक या मनुष्य की जन्मपत्रिक में राहु भगवान और केतु भगवान के बीच सारे ग्रह एक ही तरफ आ जाए तो कालसर्प दोष बनता है। आज से पन्द्रह दिनों के लिए गोचर में ग्रहों की स्थिति इस दोष को निर्मित करती है। क्योंकि राहु और बुध मिथुन राशि में है और सूर्य व शुक्र वृषभ राशि में, कुम्भ राशि में मंगल, मकर राशि में चंद्र नीचगत गुरु और स्वग्रही शनि महाराज, धनु राशि में केतु भगवान है। इस प्रकार सभी ग्रह राहु और केतु के मध्यस्थ है। जन्मपत्रिक में कालसर्प दोषों का निर्माण करते है।
कुल 12 प्रकार के काल सर्प योग
जन्मपत्रिक में कुल बारह प्रकार के कालसर्प दोष बनते है। जिसका अलग अलग तरह से जीवन मे प्रभाव रहता है। जन्मपत्रिक में जहाँ राहु भगवान रहेंगे, उसके ठीक सामने केतु भगवान 180 डिग्री के एंगल पर राहु से सप्तम भाव पर रहेंगे।
सर्वप्रथम यदि आपकी चंद्र राशि या चंद्र लग्न से लग्न में राहु हो तो सप्तम में केतु भगवान रहेंगे।
1961 में बना था ऐसा योग
इन पंद्रह दिनो के मध्य मेष, सिंह और धनु राशि वाले जातक सावधान रहे। कर्क, वृश्चिक और मकर राशि वाले जातक स्वास्थ का ध्यान रखे। वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, कुम्भ और मीन राशि वालो जातको के लिए शुभस्थ स्थिति रहेगी। इस तरह का योग 1961 में बना था तो कई तरह की आपदाएं आई थी। महामारी के साथ ही युद्ध के योग बने थे। पूरे विश्व में हलचल हुई थी।