अब सिंधिया खोलेंगे निगम, मंडल और आयोग में मनोनयन का पिटारा 

jyoti

ग्वालियर। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति,विशेष आमंत्रित सदस्य सूची में बड़ी संख्या में अपने समर्थकों को शामिल कराने के बाद विजयी भाव मे राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया आज से तीन दिन के दौरे पर ग्वालियर पहुंच गए है । अब उनका दबाव अपने समर्थकों को आयोग ,निगम और मंडलों में ऊंचे ओहदों पर मनोनीत कराने पर है । इसको लेकर कल ही वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा से चर्चा कर चुके है । माना जा रहा है कि आजकल में ही सिंधिया के चार समर्थको की ताजपोशी का आदेश जारी हो जाएगा ।


 भोपाल में सिंधिया ऊर्जा से भरे आक्रामक मूड में दिखे । उन्होंने अपनी एक्टिविटी के जरिये बताया कि भाजपा में भी वे अपनी ही शैली में काम करेंगे और कांग्रेस की तरह ही ऊंचे ओहदे के साथ । दौरे के समय पूरी भाजपा उनके इर्द गिर्द चिपकी और सिमटी नजर आई । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा उन्हें अपने घर लंच पर ले गए तो भाजपा संगठन के सिर्फ तीन शीर्षस्थ ही डायनिग हाल में जा सके । स्वय सिंधिया समर्थक मंत्री भी बाहर ही बैठे रहे। इसके बाद संगठन मंत्री उन्हें समिधा स्थित संघ दफ्तर ले गए जहां भैया जी जोशी से उन्होंने लगभग पौने घण्टे एकांत मंत्रणा की ।


इसके बाद वे अपनी फाइल लेकर मुख्यमंत्री निवास पहुंचे और वहां उन्होंने मनोनयन और नियुक्तियों पर बातचीत की । सूत्र बताते है कि इससे पहले श्री सिंधिया ने दिल्ली से सीएम और प्रदेश अध्यक्ष तथा संगठन मंत्री को साफ निर्देश दिलवाया था कि श्री सिंधिया के हिसाब से काम किया जाए और दलबदल से पहले उन्हें किये गए कमिटमेंट पूरे किए जाएं ।


लोकसभा चुनावों पर नज़र


दरअसल अब भाजपा आलाकमान की नज़र आगामी  प्रस्तावित लोकसभा चुनावों पर है । भाजपा कांग्रेस के अनेक नेताओ को अपने साथ लेकर कांग्रेस में भगदड़ का माहौल बनाना चाहती है हालांकि पश्चिम बंगाल में यह दांव काम नही आया कदाचित आगे भी वह इसी पर बढ़ना चाहती है । यूपी में जतिन प्रसाद की एंट्री इसी की झांकी है । इस काम मे सिंधिया ने मदद की और आगे महाराष्ट्र और पंजाब में भी उन्हें टास्क दिए है । मध्यप्रदेश में सिंधिया के कारण भाजपा की सत्ता में वापिसी हुई है लिहाजा वह उनका बड़ा कद और उनके समर्थकों को व्यापक भागीदारी देकर बाकी कांग्रेस नेताओं को आमंत्रित करना चाहती है इस आश्वस्ति के साथ कि सिंधिया की तरह ही उन्हें और उनके समर्थकों को आत्मसात करके मान दिया जाएगा । बिहार में पासवान परिवार ,हरियाणा में चौधरी वीरेंद्र सिंह और उससे पहले भाजपा में शामिल हुए चौधरी राकेश सिंह की उपेक्षा से  उपजे संदेह के बादलों को भाजपा छांटना चाहती है । यही बजह है कि पहली बार है जब भाजपा ने अपने कैडर से बाहर के इतनी बड़ी संख्या में संगठन में एडजस्ट किया हो। 


इनका होगा पुनर्वास


सिंधिया के साथ अपना कैरियर दांव पर लगाकर जो विधायक भाजपा में शामिल हुए उन्होंने इस्तीफा दिया और उप चुनाव लड़ा । इनमे से महिला और वाल विकाज़ मंत्री रही इमरती देवी सुमन, ग्वालियर पूर्व के विधायक रहे मुन्ना लाल गोयल, दिमनी से विधायक रहे और इस्तीफा देने के बाद राज्यमंत्री बनाये गए गिर्राज दंडोतिया और मुरैना विधायक रहे रघुराज कंसाना  और करेरा से विधायक रहे जसवंत जाटव उप चुनाव हार गए । इनका श्री सिंधिया पर नैतिक दबाव है कि वे इनका रुतबा बापिस लौटवाये । हालांकि सुमावली से ऐदल सिंह कंसाना और गोहद से विधायक रहे रणवीर जाटव भी उप चुनाव में पराजित हो गए लेकिन ये सिंधिया कोटे से नही सीधे भाजपा में गए थे ।


सूत्रों की माने तो इमरती देवी को राज्य महिला आयोग का मुखिया बनाया जा सकता है। इसके अलावा मुन्नालाल गोयल ,गिर्राज दंडोतिया को भी आयोग या निगम में अध्यक्ष बनाया जा सकता है । कहा तो ये जा रहा है कि स्वयं श्री सिंधिया इनकी नियुक्ति की घोषणा कर सकते है । इनके अलावा बाकी लोगो को भी कोई न कोई पद दिया जा सकता है ।

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