CBSE Class 12th Exams 2021: सीबीएसई 12वीं की परीक्षाएं कराने की मांग बढ़ी

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 NCCS ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र 

कई स्कूलों के प्रिंसिपल का कहना है कि आंतरिक परीक्षाओं के आधार पर छात्रों का रिजल्ट नहीं बनाया जा सकता

नईदिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच देश में CBSE बोर्ड परीक्षा चर्चा का विषय बन चुकी है। लंबे समय से इन परीक्षाओं को रद्द कराने की मांग हो रही है। छात्रों से लेकर शिक्षक और कई एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा हालातों में CBSE की बोर्ड परीक्षाएं नहीं आयोजित की जा सकती और इससे ज्यादा देरी करने पर छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने में समस्या आएगी। वहीं, कई छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि बिना बोर्ड एग्जाम के छात्रों का रिजल्ट नहीं बनाया जा सकता है।

*सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग*

CBSE की परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिका दायर हो चुकी हैं। पहले परीक्षाओं को कैंसिल कराने के लिए याचिका दायर की गई थी। इसके बाद परीक्षाएं कराने को लेकर भी मांग तेज हो रही है। अब एक शिक्षक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर कहा है कि CBSE की परीक्षाएं कराना बहुत जरूरी है और सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। सीबीएसई स्कूलों की राष्ट्रीय परिषद NCCS ने देश के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को पत्र लिखकर बोर्ड परीक्षाएं कराने की मांग की है।

*जून के पहले हफ्ते में आएगा फैसला*

NCCS की सेकेट्री इंद्रा राजन ने बताया कि जून के पहले हफ्ते में CBSE की परीक्षाओं को लेकर फैसला किया जाएगा। उन्होंने देश के शिक्षा मंत्री और अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा की थी। इसमें भी यही कहा गया कि बोर्ड परीक्षाओं पर फैसला जून के पहले हफ्ते में होगा। उन्होंने बताया कि NCCS ने पत्र लिखकर शिक्षा मंत्री को बोर्ड परीक्षाओं की अहमियत के बारे में बताया है।

*कॉलेज में दाखिले के लिए महत्वपूर्ण है 12वीं की अंकसूची*

इंद्रा राजन ने कहा "हालांकि, मौजूदा हालातों में परीक्षा कराने की सलाह नहीं दी जा सकती, पर यदि बाद में भी हालात सुधरते हैं और परीक्षाएं करा पाना संभव होता है तो परीक्षाओं के माध्यम से ही 12वीं के छात्रों का रिजल्ट बनाया जाना चाहिए। 12वीं की मार्कशीट सभी छात्रों के लिए बहुत ही अहम डॉक्यूमेंट होती है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए इसकी बहुत अहमियत रहती है। इसका महत्व इस बात पर भी निर्भर करता है कि इसे कैसे प्राप्त किया गया और योग्यता का पैमाना क्या था। कई छात्रों और अभिवावकों ने भी इस बात पर चिंता जताई है।

शिक्षक और छात्र दोनों परीक्षाएं कराने के पक्ष में

इंद्रा राजन ने आगे बताया कि कई विद्यार्थी बड़े शिक्षा संस्थानों में दाखिला लेना चाहते हैं। ऐसे में अगर शिक्षा मंत्रालय और CBSE छात्रों के हित में फैसला लेंगे तो बेहतर होगा। शिक्षकों और छात्रों का एक बड़ा हिस्सा परीक्षा कराने के पक्ष में है। कलूर की ग्रीट्स पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल जया सबिन के अनुसार 60 फीसदी बच्चे परीक्षाएं देकर 12वीं कक्षा पास करना चाहते हैं। शिक्षक भी इस बात के पक्ष में हैं। यह उनके करियर का अहम समय है और वो सही तरीके से अपनी बोर्ड परीक्षा की अंकसूची हासिल करना चाहते हैं।

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