कागज पर तुलसीदास की लिखी राम चरित्र मानस चित्रकूट में मौजूद
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- कागज का निर्माण भारत में उस काल में हुआ, 11 वर्ष रहे चित्रकूट में राम वनवास के दौरान
चित्रकूट ब्यूरो। महर्षि तुलसीदास की हाथों से लिखी राम चरित मानस आज भी चित्रकूट में देखने को मिल जाएगी। राम चरित मानस की खासियत है कि वह काज पर लिखी गई है।
संतो का कहना है कि कागज का अविष्कार चीन नहीं भारत में हुआ था। महर्षि तुलसीदास की हस्तलिखित राम चरित मानस आज भी मौजूद है। वहां पर राम घाट है । वनवास में केंद्र बिंदु चित्रक ूट का मंदागिनी नदी का राम घाट है। राम सीता और लक्ष्मण ने चित्रकूट में कामदगिरी पर्वत पर ही अधिक समय वनवास में बिताया था। रामकथा से जुड़े निशान आज भी वहां मौजूद थे। 11 वर्ष तक वहां पर पर्वत की परिक्रमा की। राम की निशानी का अक्स आज भी भक्तों को दिखता है। रामघाट पर रात में रामजी की आरती भी होती है। इस घाट पर राम भगवान स्नान करते थे। त्रेता युग का यह घाट तुलसीदास को राम के दर्शन हुए थे। यहीं पर पहले राक्षस का वध भी किया था।
राम भरत मिलाप भी चित्रकूट में
त्रेता युग में राम भरत मिलाप की जगह आज भी चित्रकूट में मौजूद है। जिस पर्वत पर राम-भरत मिलाप हुआ था वहां पर रामजी के पद चिन्ह मौजूद है। उस समय रामजी को मनाने जो लोग गए थे उनके पैरों के निशान भी वहां पर मौजूद है। लक्ष्मण, सीता, भरत-शत्रुघन सभी के पैरो के निशान है। वहां के संत के अनुसार वे तभी के बने हुए है। एक कुआ है जिसमें अलग-अलग तीर्थों से लाया गया पानी भरत ने डाला था। वह कभी सूखता नहीं है। सीता कुंड में सीताजी स्नान करती थी।